![]() |
Application of secret
रहस्य का प्रयोग कैसे करें
आप रचनात्मक निर्माता हैं । आकर्षण के नियम द्वारा जीवन का निर्माण करने की प्रक्रिया आसान है । महानतम उपदेशकों और अवतारों ने अपने अद्भुत कार्यों द्वारा असंख्य तरीकों से हमें यह रचनात्मक प्रक्रिया बताई है । कुछ महान उपदेशकों ने नीतिकथाओं के माध्यम से हमें ब्रह्मांड के काम करने का तरीका बताया है । उनकी कहानियों की बुद्धिमत्ता सदियों से हमारे बीच मौजूद है और किंवदंती बन चुकी है । वर्तमान युग के कई लोगों को तो इस बात का एहसास ही नहीं है कि इन कहानियों में जिंदगी की सच्चाई छिपी है🤩
जेम्स रे: अलादीन और उसके चिराग की कहानी के बारे में सोचें । जब अलादीन चिराग उठाता है और उसकी धूल साफ़ करता है , तो जिन्न फ़ौरन बाहर निकल आता है । जिन्न हमेशा एक ही बात कहता है
“ आपकी इच्छा ही मेरा आदेश है !
कहानी में कहा गया है कि जिन्न तीन इच्छाएं पूरी करता है , लेकिन अगर आप कहानी की तह तक जाएँगे , तो इसकी कोई सीमा नहीं है । आप जितनी भी इच्छाएँ करेंगे , वे सब पूरी होगी ।
एक इच्छा के बारे में सोचें । को अपनी मनचाही चीज मांगनी होती है । फिर ब्रह्मांड जिन्न बन अब इस उपमा को अपने जीवन पर लागू करें । याद रखें , अलादीन जाता है । विभिन्न परपराओं ने इसके अलग - अलग नाम दिए हैं आपका रक्षक देवदत , आपका उच्चतर स्वरूप । हम इस पर कोई भी लेवल लगा सकते हैं और अपने लिए सबसे अच्छी तरह काम करने वाले लेबल को चुन सकते है , लेकिन हर परपरा ने हमें बताया है कि कोई चीज है , जो हमसे ज्यादा बड़ी है । और जिन्न हमेशा एक ही बात कहता
" आपकी इच्छा ही मेरा आदेश है ।"
यह अद्भुत कहानी दर्शाती है कि किस तरह आपने ही अपनी पूरी जिंदगी और अपने पास मौजूद हर चीज़ को खुद बनाया है । जिन्न ने तो सिर्फ आपके हर आदेश का पालन किया है । जिन्न आकर्षण का नियम है और यह हमेशा मौजूद है । आप जो भी सोचते , बोलते और करते हैं , उसे यह जिन्न हमेशा सुन रहा है । जिन्न मान लेता है कि आप जिस भी चीज़ के बारे में सोचते हैं , उसे पाना चाहते हैं ! यह मान लेता है कि आप जिस भी चीज़ के बारे में बोलते हैं , उसे पाना चाहते हैं ! यह मान लेता है कि आप जिस भी चीज़ पर काम करते हैं , उसे पाना चाहते हैं ! आप ब्रह्मांड के मालिक हैं और जिन्न यहाँ पर आपकी सेवा के लिए मौजूद है । जिन्न कभी आपके आदेश पर सवाल नहीं करता है । आपके मन में जैसे ही विचार आता है , जिन्न व्यक्तियों , परिस्थितियों और घटनाओं के माध्यम से आपकी इच्छा पूरी करने के लिए ब्रह्मांड को फ़ौरन सक्रिय कर देता है । रचनात्मक प्रक्रिया रहस्य की रचनात्मक प्रक्रिया बाइबल की न्यू टेस्टामेंट से ली गई है । इससे आपको यह सरल मार्गदर्शन मिलता है कि अपनी मनचाही चीज़ पाने के तीन आसान क़दम कौन से हैं ।
क़दम 1 : माँगे
पहला कदम माँगना है । ब्रह्मांड को आदेश दें । ब्रह्मांड को बता दें कि आप क्या चाहते हैं । ब्रह्मांड आपके विचारों पर प्रतिक्रिया करता है । बॉब प्रॉक्टर आप सचमुच क्या चाहते हैं ? बैठ जाएँ और उस चीज़ को एक कागज़ पर लिख लें । वर्तमान काल में लिखें । आप यह लिखकर शुरू कर सकते हैं ,.
" मैं इस समय इसलिए इतना खुश और कृतज्ञ हूँ , क्योंकि ... "
और फिर स्पष्ट करें कि आप अपने जीवन के हर क्षेत्र को कैसा बनाना चाहते हैं । आपको चुनाव करना होता है कि आप क्या चाहते हैं , लेकिन आपको इस बारे में स्पष्ट रहना होगा कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं । यह आपका काम है । अगर आप स्पष्ट नहीं हैं , तो आकर्षण का नियम आपको आपकी मनचाही चीज़ नहीं दे सकता । अगर आप मिश्रित फ्रीक्वेन्सी भेजेंगे , तो आपको सिर्फ़ मिश्रित परिणाम ही मिल सकते हैं । शायद जिंदगी में पहली बार यह पता लगाएँ कि आप वास्तव में क्या चाहते हैं ।
अब जब आप जान चुके हैं कि आप कुछ भी पा सकते हैं , बन सकते हैं या कर सकते हैं और कोई सीमा नहीं है , तो बताएँ कि आप क्या चाहते हैं ? माँगना रचनात्मक प्रक्रिया का पहला कदम है , इसलिए मांगने की आदत डाल लें । अगर आपको विकल्प चुनना हो , लेकिन आप यह तय नहीं कर पा रहे हों कि किस राह पर जाएँ , तो मार्गदर्शन माँगें ! आपको जिंदगी के किसीभी क्षेत्र में असफल होने की ज़रूरत नहीं है । बस माँग लें !
यह सचमुच मज़ेदार है । यह तो वही बात हो गई , जैसे ब्रह्मांड आपका कैटेलॉग हो । आप इसके पन्ने पलटते हैं और कहते हैं , “ मैं इस घटना को पसंद करूँगा ! मैं उस चीज़ को पसंद करूँगा ! मैं ऐसा व्यक्ति बनना पसंद करूँगा । " आप ब्रह्मांड को अपना ऑर्डर दे देते हैं । यह दरअसल इतना ही आसान है ।
यह किसी कैटेलॉग से ऑर्डर देने जैसा है । आप सिर्फ एक बार ही किसी आपको बार - बार मांगने की ज़रूरत नहीं है । बस एक बार माँगना ही काफी चीज़ का ऑर्डर देते हैं । एक बार ऑर्डर देने के बाद आपके मन में यह शंका नहीं होती है कि आपका ऑर्डर पहुँचा होगा या नहीं । आप घबराकर दूसरी बार , तीसरी बार या चौथी बार ऑर्डर नहीं देते हैं । आप सिर्फ एक बार ऑर्डर देते हैं । यही रचनात्मक प्रक्रिया में भी होता है । पहला कदम सिर्फ इस बारे में स्पष्ट होना है कि आप क्या चाहते हैं । अगर आपने अपने दिमाग में स्पष्ट कल्पना कर ली है , तो आपने माँग लिया है ।
क़दम 2 : यकीन करें
दूसरा क़दम यक़ीन करना है । यक़ीन करें कि वह चीज़ आपकी हो चुकी है । मैं इसे अटल आस्था कहना पसंद करती हूँ । अदृश्य में यक़ीन करना । आपको यक़ीन करना होगा कि वह चीज़ आपको मिल चुकी है । आपको विश्वास होना चाहिए कि जिस पल आपने उसे माँगा है , उसी पल वह आपकी हो चुकी है । आपको पूरी और पक्की आस्था रखनी है । अगर आप कैटेलॉग से किसी चीज़ का ऑर्डर दे देते हैं , तो इसके बाद आप तसल्ली से बैठ जाते हैं और ज़िंदगी में आगे बढ़ जाते हैं , क्योंकि आप जानते हैं कि आपने जिस चीज़ का ऑर्डर दिया है , वह आपको मिल ही जाएगी ।
" चीजों को इस तरह देखें , जैसे आपकी मनचाही चीजें
इसी वक्त आपको मिल चुकी हैं । विश्वास रखें कि वे चीजें ज़रूरत के वक्त आपके पास आ जाएँगी । बस उन्हें आने दें । उनके बारे में चिंता न करें या परेशान न हों । उनकी कमी के बारे में न सोचें । उनके बारे में इस तरह सोचें , जैसे वे आपकी हो चुकी हैं , आप उनके हकदार हैं और मालिक हैं । "
जिस पल आप मांगते हैं , अदृश्य शक्तियों में यकीन करते हैं और यह महसूस करते हैं कि आपकी मनचाही चीज़ पहले से ही आपके पास है , उसी पल पूरा ब्रह्मांड सक्रिय होकर आपकी कल्पना को साकार करने में जुट जाता है । आपको इस तरह काम करना , बोलना और सोचना है , जैसे आप इसे अभी हासिल कर रहे हों । क्यों ? क्योंकि ब्रह्मांड एक आईना है और आकर्षण का नियम आपके प्रबल विचारों को साकार करके आप तक पहुंचाता है । तो क्या इसमें समझदारी नहीं है कि आप उसे खुद को पाता देखें । अगर आप यह सोचेंगे कि वह चीज़ आपको अब तक नहीं मिली है , तो आप उस चीज़ के न मिलने को आकर्षित कर लेंगे । इसलिए आपको यक़ीन करना होगा कि आप उसे हासिल कर चुके हैं । आपको यक़ीन करना होगा कि वह चीज़ आपको मिल चुकी है । अगर आप उन चीज़ों की तस्वीरों को अपने जीवन में साकार करना चाहते हैं , तो आपको उन्हें पाने की भावना की फ्रीक्वेन्सी ब्रह्मांड को भेजनी होगी । ऐसा करने पर आप तमाम परिस्थितियों , लोगों और घटनाओं को ज़बर्दस्त तरीके से प्रेरित कर देते हैं , जिससे आपको अपनी मनचाही चीज़ मिल जाए ।
Maldives is waiting for u🤩🤩
जब आप वैकेशन की बुकिंग करते हैं , नई कार का ऑर्डर देते हैं या मकान खरीदते हैं , तो आप जानते हैं कि वे चीजें आपकी हो चुकी हैं । आप जाकर उसी अवधि के लिए एक और वैकेशन की बुकिंग नहीं करते हैं या एकऔर कार या मकान नहीं खरीदते हैं । अगर आप लॉटरी जीत जाते हैं या सचमुच आपको विरासत में ढेर सारी दौलत मिलती है , तो भौतिक रूप में पैसा मिलने से पहले ही आप उसे अपना मान लेते हैं । इसे ही यकीन करने की भावना कहते हैं । यक़ीन करें कि वह चीज़ आपकी हो चुकी है , आपको मिल चुकी है । प्रबल भावना से उन चीज़ों पर दावा करें , जिन्हें आप चाहते हों और यक़ीन करें कि वे आपकी हो चुकी हैं । जब आप ऐसा करेंगे , तो आकर्षण का नियम प्रबलता से सारी परिस्थितियों , लोगों और घटनाओं का प्रेरित कर देगा , ताकि आपको अपनी मनचाही चीज़ हासिल हो जाए ।
आप यक़ीन करने के बिंदु तक किस तरह पहुँच सकते हैं ?
यकीन करने का नाटक करें । बच्चों की तरह नाटक करें । इस तरह नाटक करें , जैसे वह चीज़ पहले से ही आपके पास हो । जब आप लगातार नाटक करने रहेंगे , तो धीरे - धीरे आप इस बात पर यक़ीन करने लगेंगे कि वह चीज़ आपको मिल चुकी है । जिन्न सिर्फ आपके माँगते समय ही प्रबल विचारों पर प्रतिक्रिया नहीं करता है । जिन्न तो हर समय आपके प्रबल विचारों पर प्रतिक्रिया करता है । इसीलिए माँगने के बाद भी आपको यकीन रखने की ज़रूरत होती है । आस्था रखें । आपको वह चीज़ मिल चुकी है , इस बारे में आपका अटल विश्वास , आपकी अडिग आस्था आपकी सबसे बड़ी शक्ति है । जब आप यक़ीन करते हैं कि वह चीज़ आपको मिल रही है , तो जादु देखने के लिए तैयार हो जाएँ !
“ आप जो चाहे पा सकते हैं - बशर्ते आप उसे अपने विचारों के साँचे में ढालने का तरीका जानते हों । ऐसा कोई सपना नहीं है जो साकार न हो सके , बशर्ते आप अपने माध्यम से काम कर रही रचनात्मक शक्ति का प्रयोग करना सीख लें । जो तरीके एक व्यक्ति के लिए काम करते हैं , वे सबके लिए काम करेंगे । आपके पास जो है , उसके प्रयोग में ही शक्ति की कुंजी तरह आप अपने पाने के द्वार को ज्यादा खोल लेतेहैं , ताकि आपके माध्यम से ज़्यादा रचनात्मक शक्ति प्रवाहित हो सके । "
आपको यह जानने की भी ज़रूरत नहीं है कि ब्रह्मांड खुद को दोबारा व्यवस्थित कैसे करेगा । यह कैसे होगा या ब्रह्मांड उस चीज़ को आप तक कैसे पहुंचाएगा , यह चिंता करना आपका काम नहीं है । यह तो ब्रह्मांड का काम है । उसे अपना काम करने दें । जब आप यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि यह काम कैसे होगा , तो आपके द्वारा भेजी जाने वाली फ्रीक्वेन्सी में आस्था का अभाव होता है । इससे लगता है कि आपको यह यक़ीन नहीं है कि वह चीज़ पहले से हीआपके पास मौजूद है । आपको लगता है कि यह काम भी आपको ही करना लिए अपने आप कर देगा ।
" रचनात्मक प्रक्रिया में कैसे के बारे में सोचना है और आपको इस बात पर यकीन नहीं है कि ब्रह्मांड उस काम को आपके आपका काम नहीं है । बॉब प्रॉक्टर काम कैसे होगा , आप यह बात नहीं जानते हैं । यह तो आपको बाद में पता चलेगा । तरीका अपने आप आपकी ओर आकर्षित होगा ।"
कदम 3 : पाएँ
तीसरा और आख़िरी क़दम है पाना ।
उसी तरह महसूस करें , जिस तरह आप उस चीज़ को पाने के बाद महसूस करेंगे । इसे अभी महसूस करें । इस प्रक्रिया में अच्छा महसूस करना और खुश रहना महत्वपूर्ण है , क्योंकि अच्छा महसूस करते समय आप खुद को उसी फ्रीक्वेन्सी पर रख रहे हैं , जिस पर आपकी मनचाही चीज़ है ।यह ब्रह्मांड भावनाओं से संचालित है । अगर आप सिर्फ बौद्धिक दृष्टि से किसी चीज़ में यक़ीन करते हैं , लेकिन आपके मन में उसके अनुरूप भावना नहीं है , तो हो सकता है कि आपके आग्रह में इतनी शक्ति न हो कि आप अपनी मनचाही चीज़ को अपने जीवन में साकार कर सकें । आपको इसे महसूस करना होता है ।
एक बार माँगें । फिर यकीन करें कि आप उसे पा चुके हैं । और फिर अच्छा महसूम करके उसे पा लें । जब आप अच्छा महसूस करते हैं , तो आप पाने की नोक्वेन्सी पर हैं । आप सारी अच्छी चीज़ों को अपनी ओर लाने की फ्रीक्वन्सी पर हैं और आपको माँगी हुई चीज़ मिल जाएगी । ज़ाहिर है , आप सिर्फ वही चीज़ माँगेंगे , जिसके मिलने पर आपको अच्छा महसूस हो , है ना ? इसलिए अगर आप खुद को अच्छा महसूस करने की फ्रीक्वेन्सी पर ले आते हैं , तो आप उसे पा लेंगे ।
Vizualize as if it is ur and feel as u are enjoying there😇😇
खुद को उस फ्रीक्वेन्सी तक पहुँचाने का एक तेज़ तरीक़ा यह कहना है , “ में इसे अभी पा रहा हूँ । मुझे अपने जीवन में तमाम अच्छी चीजें इसी समय मिल रही हैं । मैं ( यहाँ अपनी इच्छा भर लें ) इसी समय पा रहा हूँ । " और मिलने की भावना को सचमुच महसूस करें । इस तरह महसूस करें , जैसे आपने उस चीज़ को वाक़ई पा लिया हो । मेरी एक प्रिय मित्र मार्सी में ज़बर्दस्त कल्पनाशीलता है । वह हर चीज़ महसुस करती है । वह महसूस करती है कि मनचाही और माँगी हुई चीज़ मिलने पर उसे कैसा महसूस होगा । वह हर चीज़ को सचमुच महसूस करती है । वह इस मामले में नहीं उलझती है कि वह चीज़ उसे कैसे , कब या कहाँ मिलेगी । वह तो बस उसे महसूस करती है और फिर वह चीज़ प्रकट हो जाती है ।
तो इसी समय अच्छा महसूस करें ।
तो इसी समय अच्छा महसूस करें ।












Very nice 🙂👍
ReplyDelete👍👍👍
ReplyDelete